कई बार कुछ ऐसे प्रसंग सामने आ जाते हैं जो विज्ञान विशारदों के भी मस्तिष्क को चकराकर रख देते हैं। ऐसी ही एक झील दक्षिण अफ्रीका स्थित पैण्डूजी है। उत्तरी ट्रांसवाल प्रांत में पाई जाने वाली इस झील के संबंध में यों तो अनेक प्रकार की किंवदंतियां हैं पर यह सच है कि इसके पानी को पीने वाला आज तक कोई जिंदा नहीं रहा। इसका यह मतलब नहीं कि यहां का जल प्रदूषित है। यथार्थ तो यह है कि मुटाली नामक जिस नदी का प्रवाह इसमें आता है, वह एकदम स्वच्छ है। फिर इसमें कौन-सा ऐसा तत्व है जो प्राणघातक है? इसे जानने के लिए समय-समय पर कई प्रयास हुए हैं पर कोई सफल नहीं हो सके। हर कोशिश के साथ कोई न कोई दुर्घटना घट जाती। आरंभ में इसे मात्रा संयोग कहकर टाल दिया जाता किन्तु जब प्रत्येक अन्वेषक के साथ इस प्रकार के प्रसंग सामने आने लगे तो जांचकर्ता सतर्क हो गए और झील से किसी भी तरह की छेड़खानी करने से कतराने लगे। अंतिम घटना सन् 1956 की है। जो एंडी लेविन नामक एक दुस्साहसी रसायनवेत्ता से संबंधित है। उसके मस्तिष्क में यह सनक सवार हो गई कि वह उसके जल का रासायनिक विश्लेषण कर इस रहस्य से पर्दा उठायेगा। मित्रों और संबंधियों को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने लेविन को ऐसा करने से रोकने के लिए हर तरह से समझाया, पर वह न माना। अपने एक सहयोगी को साथ लेकर चल पड़ा। इस कार्य में सहायता लेने के उद्देश्य से उसने स्थानीय कबीले के लोगों से संपर्क साधा किंतु पैंडूजी झील का नाम सुनते ही उन्होंने किसी भी प्रकार की मदद करने से इंकार कर दिया। यहां तक कि झील तक मार्गदर्शन करने के लिए भी वे तैयार न हुए, तब लेविन और उसके मित्रा अकेले ही उस ओर बढ़ गए। कबीले के वयोवृद्ध मुखिया ने ऐसा करने से मना किया पर उन पर इसका कोई प्रभाव न पड़ा। जब वे वहां पहुंचे, तब तक रात हो चुकी थी। दोनों ने मिलकर वहीं एक पेड़ के नीचे रात गुजारी। प्रातः होते ही वे उठे और साथ लाई बोतलों में पानी भरने लगे। पानी कुछ गहरे मटमैले रंग का था। लेविन ने उसकी एक बूंद जीभ पर डाली तो उसका स्वाद कुछ विचित्रा जान पड़ा। पानी का नमूना इकट्ठा कर लेने के बाद उन्होंने झील के आसपास के कुछ पौधों और झाड़ियों को भी एकत्रा किया और उन्हें साथ ले जाने के लिए सुरक्षित रख लिया। वापस लौटते समय उनके साथ अजीबोगरीब घटनाएं घटती रहीं। उन्हें उत्तर से पूरब की ओर वाले उस मार्ग पर बढ़ना था जिससे वे आए थे पर वे चल पड़े पश्चिम के रास्ते पर। आधे से अधिक रास्ता पार कर लेने के उपरांत उन्हें महसूस हुआ कि वे गलत दिशा में बढ़ रहे हैं। लौटकर पुनः झील तक आए और वहां से पूरब की ओर बढ़े। अब तक रात घिर आई थी, अतः वे एक स्थान पर रूक गए। सवेरा हुआ तो पुनः प्रस्थान किया। कुछ देर आगे जाने पर फिर लगने लगा कि वे गलत मार्ग पर जा रहे हैं। एक बार पुनः दोनों वापस लौटे। इस बार अधिक सतर्कता बरतते हुए सावधानीपूर्वक पूरब मार्ग पर बढे किंतु नतीजा वही निकला जिसका डर था। वे फिर भटक गए। अब की बार खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे। पानी से भरी बोतलें झील में डाली, पौधों को वहीं फेंका और सजग रहते हुए बढ़ चले। इस बार वे सफल हुए और सुरक्षित घर पहुंच गए। अ ब तक लेविन की तबियत काफी बिगड़ चुकी थी। अस्पताल में एक सप्ताह बाद उसकी मृत्यु हो गई। उसका मित्रा एक कार दुर्घटना में मारा गया। झील से संबंधित यह तेरहवीं घटना थी। इसी तरह अन्यों में भी सकुशल कोई नहीं बचा।
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