अयोध्या में बनेगा राम मन्दिर ?

 दैनिक समाचार, नई दिल्ली - 9 दिसंबर। इंद्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली के संयोजन में 9 दिसंबर को देश के विशिष्ट संत-महात्माओं, प्रमुख धार्मिक संगठनों, आर एस एस के वरिष्ठ पदाधिकारियों और लाखों राम भक्तों की विराट धर्म सभा में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एक स्वर में केन्द्र सरकार से कानून बनाने की पुरजोर मांग की गई। 


 ऐतिहासिक रामलीला मैदान में हुई विराट धर्म सभा की अध्यक्षता करते हुए आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने कहा, 'राम मंदिर के लिए दिल्ली में उमड़े जनसैलाब ने इतिहास रच दिया। राम हिन्दू समाज के लिए मुक्ति मंत्र है, चेतना है। राम मंदिर के इस एकजुट स्वर को शासन और न्यायालय को समझना होगा।' अवधेशानंद गिरी जी ने राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्प भी दिलाया।


 विराट धर्म सभा में महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद जी महाराज ने मोदी सरकार को दो टूक चेतावनी दी, कि 'अगर मंदिर नहीं बना तो राम भक्त चुप नहीं बैठेंगे।' उन्होंने कहा, कि 'अगर बीजेपी पर यह आरोप लगता है कि वो चुनाव के दौरान ही राम मंदिर का मुद्दा उठाती है , तो दूसरे दलों को मंदिर निर्माण में सहयोग कर इस मुद्दे को ही समाप्त कर देना चाहिए। 


 जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य जी महाराज ने कहा, कि 'राम मंदिर के लिए कानून या अध्यादेश से कम कुछ स्वीकार्य नहीं है।' उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि 'अगर राम मंदिर प्राथमिकता में नहीं है तो रामनवमी पर वे अवकाश क्यों लेते हैं।'


गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि 'संत चाहते हैं कि इसी दिसंबर में राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो जाना चाहिए।' उदासीन आश्रम आराम बाग के राघवानंद जी महाराज ने कहा कि 'अगर कानून नहीं बना तो राम मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष ही एक उपाय रह जाएगा। अगर देश की सबसे बड़ी अदालत देश की भावनाओं को नहीं समझती , तो यह हिन्दू समुदाय के प्रति अन्याय है।'


 इस अवसर पर साध्वी ऋतंभरा ने हुंकार भरते हुए कहा कि 'इस देश का हिन्दू जाग गया है ,अब राम मंदिर बनना ही चाहिए ।' 


 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने कहा कि 'हम राम मंदिर की भीख नहीं मांग रहे, ये हमारा अधिकार है और चाहत तो है ही संसद और सरकार का दायित्व भी है। न्याय व्यवस्था और न्यायालय की प्रतिष्ठा बनी रहनी चाहिए तथा न्याय व्यवस्था और राज सत्ता दोनों को अपने पूरे सामर्थ्य का उपयोग करते हुए जन भावना की उपेक्षा के स्थान पर उसका सम्मान करना चाहिए जिससे जन विश्वास भी बना रहे। मंदिर वहीं बनाएंगे ये सत्तारुढ दल का संकल्प भी है।'


विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा कि 'राम मंदिर चुनाव का मुद्दा नहीं, आत्मसम्मान का मुद्दा है। न्यायालय की प्रतीक्षा अनंत काल तक नहीं की जा सकती। संसद जनता की आकांक्षा के अनुसार कानून बना कर मंदिर निर्माण की राह खोले।'  


 विश्व हिन्दू परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि 'संसद के शीतकालीन सत्र से पहले धर्म संसद कर हम सरकार को मंदिर निर्माण की याद दिला रहे हैं।' आलोक कुमार ने सभी राजनीतिक दलों से राम मंदिर का समर्थन करने को भी कहां। उन्होंने कहा कि 'संसद के शीतकालीन सत्र में राम मंदिर निर्माण का कानून नहीं बना तो चुनाव में जनता का आक्रोश सामने आएगा।'


 विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि 'हमें कानून से राम मंदिर चाहिए। सरकार और सुप्रीम कोर्ट का कर्तव्य है कि देश का सम्मान करे। राम मंदिर स्थल का बंटवारा स्वीकार नहीं। जब उच्च न्यायालय के फैसले में सिद्ध हो गया कि वहां राम मंदिर था तो वादे के अनुसार मुस्लिम पक्षकारों को मुकद्दमा वापस ले लेना चाहिए।'


 धर्म सभा में स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि 'राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे - यह आवाज़ एक जाति, धर्म या सम्प्रदाय की नहीं है, पूरे देश की है।  सुप्रीम कोर्ट को अपनी। गरिमा बनाए रखनी चाहिए।'


 आर्य समाज के प्रतिनिधि विनय आर्य ने कहा कि 'यह समय राम मंदिर का श्रेय लेने का है। किसी को इसमें चूक नहीं करनी चाहिए।'


 महामंडलेश्वर नवल किशोर दास जी महाराज ने कहा कि 'राम मंदिर निर्माण पर यदि सरकार कोई निर्णय नहीं लेती है, तो संत स्वयं निर्णय लेंगे।' 


 स्वामी अनुभूतानंद नंद जी महाराज ने कहा कि 'शर्म की बात है कि राम लला टाट में बैठे हैं और हमारे लोग ठाठ में बैठे। अगर सरकार या न्यायालय रास्ता नहीं निकालती है तो जिस तरह ढांचा ढहाया गया था उसी तरह भव्य राम मंदिर का निर्माण भी किया जाएगा। 


 मसंत नारायण गिरी जी महाराज ने कहा कि' हम यहां से यह संकल्प लेकर जाएंगे कि मंदिर वहीं बनाएंगे।'


 संत समिति के महासचिव जितेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि 'राम मंदिर सर्वोच्च न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।'  


 इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी शाश्वतानंद जी महाराज, विवेकानंद सरस्वती जी महाराज, दीपांकर जी महाराज, नामधारी गुरु दिलीप सिंह जी, जैन मुनि लोकेश महाराज जी ने भी रामलीला मैदान में उमड़े जनसैलाब को राम मंदिर निर्माण के लिए तैयार रहने को कहा।


विराट धर्म सभा के लिए राम भक्त सुबह ४ बजे से ही जुटने प्रारंभ हो चुके थे। रामलीला मैदान समेत पूरी दिल्ली में लगभग पांच लाख राम भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। दिल्ली एनसीआर से पहुंचे रामभक्तों की एक ही मांग है कि केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में ही कानून बनाए। ‌



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